आज क्यों भोर है बहुत भाता ।
क्यों खिली आसमान की लाली ॥
किसलिए है निकल रहा सूरज ।
साथ रोली भरी लिए थाली ॥।
क्यों खिली आसमान की लाली ॥
किसलिए है निकल रहा सूरज ।
साथ रोली भरी लिए थाली ॥।
इस तरह क्यों चहक उठीं चिड़ियाँ ।
सुन जिसे है बड़ी उमंग होती ॥
ओस आकर तमाम पत्तों पर ।
सुन जिसे है बड़ी उमंग होती ॥
ओस आकर तमाम पत्तों पर ।
क्यों गईं है बखेर यों मोती।
पेड क्यों हैं हरे - भरे इतने ।
किसलिए फूल हैं बहुत फूले ॥
इस तरह किसलिए खिलीं कलियाँ ।
भौंर हैं किस उमंग में भूले ॥
किसलिए फूल हैं बहुत फूले ॥
इस तरह किसलिए खिलीं कलियाँ ।
भौंर हैं किस उमंग में भूले ॥
क्यों हवा है सम्भल- संभल चलती ।
किसलिए है जहाँ-तहाँ थमती ॥
सब जगह एक-एक कोने में ।
क्यों महक है पसारती फिरती ॥
किसलिए है जहाँ-तहाँ थमती ॥
सब जगह एक-एक कोने में ।
क्यों महक है पसारती फिरती ॥
लाल नीले सफेद पत्तों में ।
भर गए फूल बेलि बहली क्यों ॥
झील तालाब और नदियों में ।
बिछ गईं चादरें सुनहली क्यों ॥
भर गए फूल बेलि बहली क्यों ॥
झील तालाब और नदियों में ।
बिछ गईं चादरें सुनहली क्यों ॥
किसलिए ठाट बाट हे ऐसा ।
जी जिसे देखकर नहीं भरता ॥
किसलिए एक-एक थल सजकर ।
स्वर्ग की है बराबरी करता ।।
जी जिसे देखकर नहीं भरता ॥
किसलिए एक-एक थल सजकर ।
स्वर्ग की है बराबरी करता ।।
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