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मेघ आए - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना | Megh Aaye - Sarveshvar Dayal Saxena

मेघ आए कविता मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली, दरवाजें-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली, पाहुन ज्यों आए-हों गा...

थोड़ी धरती पाऊँ - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना | Thodi Dharati Paun - Sarveshvar Dayal Saxsena

बहुत दिनों से सोच रहा था           थोड़ी धरती पाऊँ। उस धरती में बाग-बगीचा           जो हो सके लगाऊँ। खिले फूल-फल, चिड़ियाँ बोले ...