मैं सबसे छोटी होऊँ - सुमित्रानंदन पंत | Main Sabse Chhoti Houn - Sumitranndan Pant

मैं सबसे छोटी होऊँ,
तेरी गोदी में सोऊँ,
तेरी अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,
कभी न छोडूँ तेरा हाथ!

बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!

अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात!

ऐसी बड़ी न होऊँ मैं,
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं,
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय,
कहूँ- दिखा दे चन्द्रोदय!

कवि का नाम - 
सुमित्रानंदन पंत
Sumitranndan Pant
सुमित्रानंदन पंत


सब कुछ यहाँ
सब कुछ यहाँ

सब कुछ यहाँ, प्रसिद्ध हिंदी कविताओं का संग्रह .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपना संदेश यहां भेजें