तू ज़िंदा है तो - शंकर शैलेंद्र | Tu Zinda Hai To - Shankar Shailendra

Tu Zinda hai to zindagi ki jeet par yakin kar - shankar shailendra
तू जिंदा है तो..

तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर

ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन
ये दिन भी जाएंगे गुज़र, गुज़र गये हज़ार दिन
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तो..........

सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूम कर
तू आ मेरा सिंगार कर तू आ मुझे हसीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तो..........

हज़ार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी, चली गई वो हारकर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तो..........

हमारे कारवां को मंज़िलों का इंतज़ार है
ये आँधियों, ये बिजलियों की पीठ पर सवार है
तू आ कदम मिला के चल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तो..........

ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये
मुसीबतों के सर कुचल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तो..........

बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग़ ये
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इंकलाब ये
गिरेंगे ज़ुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तो..........

कवि का नाम - 
शंकर शैलेंद्र
Shankar Shailendra
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